हिन्दी दुर्दशा
सुभाष चन्द्र, एसोसिएट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
मनुष्य के सांस्कृतिक विकास में भाषा का महत्त्वपूर्ण योगदान है। मनुष्य के साथ-साथ भाषा और भाषा के साथ-साथ मनुष्य विकसित हुआ है। भाषा विचारों के आदान प्रदान का ही नहीं, बल्कि सोचने का माध्यम भी है। भाषा की सीमा और विस्तार का अर्थ मनुष्य के ज्ञान और विस्तार से है। इसीलिए महापुरुषों ने अपनी भाषा व समाज को समृद्ध करने के लिए दूसरी भाषा के ज्ञान को अपनी...
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आम्बेडकर : मानवाधिकार कार्यकर्ता
By प्रोफेसर सुभाष सैनी दिसंबर 29, 2010
आम्बेडकर : मानवाधिकार कार्यकर्ता
सुभाष चन्द्र, एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी-विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
विश्व के उत्पीडि़त वर्गों के संघर्षों के प्रतिफल के रूप में मानवाधिकारों की घोषणा बेशक 1948 में हुई और 1993 में भारत में भी राष्ट्रीय मानवाधिकार का आयोग गठित किया गया। राज्य द्वारा मानवाधिकारों की स्वीकृति से निश्चित तौर पर उत्पीडि़त वर्गों के आन्दोलनों को बल मिला है, लेकिन उत्पीडि़त वर्गों के संघर्ष तभी से शुरू हो गए थे, जब से...
बुल्लेशाह
By प्रोफेसर सुभाष सैनी दिसंबर 29, 2010
बुल्लेशाह
सुभाष चन्द्र, एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी-विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
पंजाब विभिन्न संस्कृतियों, नस्लों, परम्पराओं और धर्मों के समन्वय का केन्द्र बिन्दु रहा है। यहां लगभग 4000 साल पहले सिन्धु घाटी की सभ्यता पली थी। उसके बाद यहां मध्य एशिया से आर्य आए, इसके बाद सीथियन, हूण, ग्रीक, तुर्क, फारसी, अफगान, मुगल आए। सभी ने भारत की साझी संस्कृति को समृद्घ किया।
बुल्लेशाह 16वीं शती में, कसूर में हुए। इनका असली नाम अब्दुल्ला शाह...
रसखान
By प्रोफेसर सुभाष सैनी दिसंबर 29, 2010
रसखान
सुभाष चन्द्र, एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी-विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
रसखान 16वीं शती के हिन्दी भाषा के प्रमुख कवि थे। इनका बचपन का नाम इब्राहिम खान था। ये वर्तमान उतरप्रदेश के हरदोई जिले के पिहानी गांव में पठान परिवार में पैदा हुए। रसखान ने कृष्ण भक्ति से संबंधित कविताएं लिखीं। इनकी 'प्रेम वाटिका' और 'सुजान रसखान' रचनाएं प्रसिद्घ हैं। वे कृष्ण भक्त कैसे बने इसके बारे में कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन चाहे जिस भी कारण...
रहीम
By प्रोफेसर सुभाष सैनी दिसंबर 29, 2010
रहीम
सुबहश चन्द्र, एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी-विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
प्रख्यात कवि अब्दुर्रहीम खाननखाना यानी रहीम अकबर के मन्त्री और सेनापति थे। ये अकबर के नवरत्नों में थे। मुगल बादशाह ''हुमायूं ने हिन्दुस्तान के जमींदारों से सम्बन्ध बनाने के लिए उनकी पुत्रियों से विवाह किया। हुसैन खां मेवाती का चचेरा भाई जमाल खां हुमायूं के पास आया। उसकी बड़ी पुत्री का विवाह हुमायूं से और छोटी का बैरम खां से कर दिया। इसी मेव कन्या से 17 दिसम्बर,...
रैदास
By प्रोफेसर सुभाष सैनी दिसंबर 29, 2010
रैदास
सुभाष चन्द्र, एसोसिएट प्रोफेसर , हिंदी-विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
मध्यकालीन संतों और भक्तों के जन्म-मृत्यु व पारिवारिक जीवन के बारे में आमतौर पर मत विभिन्नताएं हैं। संत रविदास की कृतियों में उनके रैदास, रोहीदास, रायदास, रुईदास आदि अनेक नाम देखने को मिलते हैं। काव्य-ग्रन्थों में रैदास का तत्सम रूप रविदास प्रयुक्त हुआ है। संत रविदास के नाम के बारे में ही नहीं, बल्कि जन्म के बारे में भी कई अटकलें लगाई जाती हैं। ''रविदासी...
गुरुनानक और सांझी संस्कृति की विरासत
By प्रोफेसर सुभाष सैनी दिसंबर 29, 2010
गुरुनानक और सांझी संस्कृति की विरासत
सुभाष चन्द्र, एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी-विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
बाबा नानक शाह फकीर
हिन्दू का गुरु,
मुसलमान का पीर 1
गुरु नानक का जन्म 1469 में, पंजाब प्रान्त के ननकाना साहब नामक स्थान पर हुआ, जो आज कल पाकिस्तान में है। वे महान विचारक और समाज सुधारक थे। उनका व्यक्तित्व साम्प्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है। उन्होंने इनसान की समानता का संदेश दिया। वे सभी धर्मों का आदर करते थे।...