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बहिस्कृत औरत व उनका सवाल

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रविदास का बेगमपुरा

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जोतिबा फुले

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सामाजिक परिवर्तन का दस्तावेज: ‘छांग्या रुक्ख’

सामाजिक परिवर्तन का दस्तावेज: ‘छांग्या रुक्ख’ डा. सुभाष चन्द्र, हिन्दी-विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय पंजाब के दलित जीवन की त्रासदी को व्यक्त करती बलबीर माधोपुरी की आत्मकथा ‘छांग्या रुक्ख’ बीस अध्यायों में बंटी हुई है। रचनाकार का व्यक्तित्व किसी विशेष समाज व परिवेश में बनता है। अपने समाज व परिवेश से कटकर आत्मकथा तो क्या साहित्य की किसी भी विधा में सृजनात्मक लेखन नहीं हो सकता। अपने व्यक्तित्व और सामाजिक परिवेश के बीच तनाव व लगाव की द्वन्द्वात्मक...