हरियाणा के
प्रतिष्ठित रचनाकार रामकुमार आत्रेय की लघुकथाओं, कहानियों और कविताओं से गुजरना
अपने समाज की सामाजिक-सांस्कृतिक संरचनाओं और वैयक्तिक मानस के भीतर हो रहे
परिवर्तनों को पहचानना है। उनकी कविताओं का संग्रह ‘नींद में एक घरेलू स्त्री’ अंतिका प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। ये कविताएं बाजारवादी मूल्य और सामाजिक
संघर्ष के प्रति व्यक्ति की उदासीनता के अन्तःसंबंधों को समझाती हैं।
रामकुमार आत्रेय
के लिए सक्रियता एक जीवन-मूल्य है और निष्क्रियता मृत्यु...
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हरियाणा का साहित्यिक परिवेश में कविता के जनवादी स्वर
By प्रोफेसर सुभाष सैनी जून 09, 2015
हरियाणा का साहित्यिक परिवेश में कविता के जनवादी स्वर
पुस्तक की भूमिका
डा. सुभाष चन्द्र, हिन्दी-विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
जनता के हितों को परिभाषित व कार्यान्वित करने वाला दर्शन, चिन्तन या विचारधारा ही 'जनवाद' है। वर्ग-विभक्त समाज में शासक व शाषित तथा शोषक व शोषित वर्गों में निरन्तर विचारधारात्मक संघर्ष रहता है। इस संघर्ष में जहां एक ओर शोषक-शासक वर्ग के साधनों पर अपने स्वामित्व, सामाजिक वर्चस्व तथा राजनीतिक सत्ता का...
बाबू बालमुकुन्द गुप्त
By प्रोफेसर सुभाष सैनी दिसंबर 29, 2010
बाबू बालमुकुन्द गुप्त
हरियाणा के झज्जर जिले के गुडिय़ानी नामक गांव में 1965 में लाला पूरणमल के घर में बाबू बालमुकुन्द गुप्त का जन्म हुआ। ''गुप्त के आरंभिक काल में इस गांव की आबादी थोड़ी ही थी। गांव में दो प्रमुख जातियों के लोग रहते थे। बहुसंख्यक तो पठान थे जो घोड़ों का व्यापार करते थे और अल्पसंख्यक महाजन लोग थे जो वाणिज्य और सूद का ध्ंाधा करते थे। पठान व्यापारी अपने बच्चों को उर्दू और फारसी की शिक्षा के लिए मक़तब भेजते, परन्तु महाजन लोगों में...
नवजागरण के अग्रदूत : हाली
By प्रोफेसर सुभाष सैनी दिसंबर 29, 2010

नवजागरण के अग्रदूत : हाली
सुभाष चन्द्र, एसोसिएट प्रोफसर, हिंदी-विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
नवजागरण के अग्रदूत मौलाना अल्ताफ हुसैन 'हाली' हरियाणा के ऐतिहासिक शहर पानीपत के रहने वाले थे। 'हाली' उर्दू के शायर व प्रथम आलोचक के तौर पर प्रख्यात हैं। हाली का जन्म 11 नवम्बर 1837 ई. में हुआ। इनके पिता का नाम ईजद बख्श व माता का नाम इमता-उल-रसूल था। जन्म के कुछ...