साहित्य, संस्कृति, कला और सामाजिक-सांस्कृतिक विषयों पर विश्लेषणात्मक सामग्री। समता, स्वतंत्रता, बंधुता, न्याय, लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए।
साहित्य, संस्कृति, कला और सामाजिक-सांस्कृतिक विषयों पर विश्लेषणात्मक सामग्री। समता, स्वतंत्रता, बंधुता, न्याय, लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र में हिन्दी विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत।
जातिवाद, साम्प्रदायिकता, सामाजिक लिंगभेद के खिलाफ तथा सामाजिक सद्भभाव, साम्प्रदायिक सद्भाव, सामाजिक न्याययुक्त समाज निर्माण के लिए निरंतर सक्रिय। साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक सवालों पर पत्र-पत्रिकाओं में लेखन। लेखन, संपादन व अनुवाद की लगभग बीस पुस्तकों का प्रकाशन
प्रकाशित पुस्तकेंः
साझी संस्कृति; साम्प्रदायिकता; साझी संस्कृति की विरासत; दलित मुक्ति की विरासतः संत रविदास; दलित आन्दोलनःसीमाएं और संभावनाएं; दलित आत्मकथाएंः अनुभव से चिंतन; हरियाणा की कविताःजनवादी स्वर;
संपादनः जाति क्यों नहीं जाती?; आंबेडकर से दोस्तीः समता और मुक्ति; हरियणावी लोकधाराः प्रतिनिधि रागनियां; मेरी कलम सेःभगतसिंह;
दस्तक 2008 व दस्तक 2009; कृष्ण और उनकी गीताः प्रतिक्रांति की दार्शनिक पुष्टि; उद्भावना पत्रिका 'हमारा समाज और खाप पंचायतें' विशेषांक;
अनुवादः भारत में साम्प्रदायिकताः इतिहास और अनुभव; आजाद भारत में साम्प्रदायिकता और साम्प्रदायिक दंगे; हरियाणा की राजनीतिः जाति और धन का खेल; छिपने से पहले; रजनीश बेनकाब।
विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों से जुड़ाव। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा आलोचना क्षेत्र में पुरस्कृत।
subhashkuk@gmail.com