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कबीर

कबीर सुभाष चन्द्र, एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी-विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र ''पूरब दिशा हरि को बासा पश्चिम अलह मुकामा।"1 'कबीर पोंगडा अलह राम का सो गुरु पीर हमारा।"2 कबीर दास मध्यकालीन भारत के प्रसिद्घ संत हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं में हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रयास किया तथा ब्राह्मणवादी धार्मिक आडम्बरों की आलोचना की। इनकी प्रसिद्घ रचनाएं 'बीजक' में संकलित...

फरीद

फरीद सुभाष चन्द्र, एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी-विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र फरीदउद्दीन गंजशकर का जन्म मुल्तान में हुआ था। ये बाबा फरीद के नाम से प्रसिद्घ हुए। पंजाब के फरीदकोट शहर का नाम बाबा फरीद के नाम पर ही पड़ा है। फरीद वर्तमान हरियाणा के हांसी कस्बे में 12 वर्ष तक रहे सूफी प्रचार किया। हांसी सूफी विचारधारा के केन्द्र के तौर पर विकसित हुआ। बाबा फरीद...

मध्यकालीन राजनीतिक परिदृश्य और साझी संस्कृति

मध्यकालीन राजनीतिक परिदृश्य और साझी संस्कृति मध्यकाल हिन्दी साहित्य के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण समय था। समाज में व्यापक स्तर पर परिवर्तन हो रहे थे। उस समय में अमीर खुसरो, फरीद, कबीर, नानक, दादू, रैदास, जायसी, रहीम, रसखान आदि रचनाएं कर रहे थे। समय व क्षेत्र की दृष्टि से हिन्दी में भक्तिकाव्य से अभिहित किए जाने वाले साहित्य का फलक व्यापक है। हिन्दी साहित्य के इतिहासकारों ने भक्ति काल को हिन्दी साहित्य का 'स्वर्ण युग' कहा है। इसकी उत्पति के कारणों...

बाबू बालमुकुन्द गुप्त

बाबू बालमुकुन्द गुप्त हरियाणा के झज्जर जिले के गुडिय़ानी नामक गांव में 1965 में लाला पूरणमल के घर में बाबू बालमुकुन्द गुप्त का जन्म हुआ। ''गुप्त के आरंभिक काल में इस गांव की आबादी थोड़ी ही थी। गांव में दो प्रमुख जातियों के लोग रहते थे। बहुसंख्यक तो पठान थे जो घोड़ों का व्यापार करते थे और अल्पसंख्यक महाजन लोग थे जो वाणिज्य और सूद का ध्ंाधा करते थे। पठान व्यापारी अपने बच्चों को उर्दू और फारसी की शिक्षा के लिए मक़तब भेजते, परन्तु महाजन लोगों में...