रविन्द्रनाथ टैगोरः विराट भारतीय आत्मा
रवीन्द्र नाथ मूलतः बंगला के कवि हैं, लेकिन वे भारत के और विश्व के कवि हैं। रविन्द्रनाथ टैगोर का जन्म हुआ। कलकत्ता में 7 मई,1861 में हुआ। रविन्द्रनाथ को एक समृद्ध विरासत मिली थी। रविन्द्रनाथ टैगोर के दादा द्वारकानाथ ने जहां उत्पादन को बढ़ावा देने में अपनी ऊर्जा लगाई, वहीं इनके पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर ने राजा राममोहन राय द्वारा स्थापित ब्रह्म समाज में सक्रियता से कार्य किया।
रविन्द्रनाथ का संबंध जमींदार घराने...
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By प्रोफेसर सुभाष सैनी जुलाई 20, 2011

हिन्दी आलोचना के ‘मेहतर’ - नामवर सिंह
डा.सुभाष चन्द्र, हिन्दी-विभाग
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
नामवर सिंह ने हिन्दी आलोचना में जब से (57-58 वर्ष पहले) कदम रखा है तभी से वे इसके केन्द्रीय किरदार रहे हैं। इस दौरान साहित्यकारों की पीढी बदल गई। हिन्दी-साहित्य में कई आन्दोलन आए और गए। आलोचक व रचनाकार आए और गए,लेकिन इस मायने में नामवर सिंह एक अपवाद ही हैं...
By प्रोफेसर सुभाष सैनी जुलाई 20, 2011

मौलाना अल्ताफ हुसैन ‘हाली’: जीवन-परिचय
फरिश्ते से बेहतर है इन्सान बननामगर इसमें पड़ती है मेहनत ज़्यादायही है इबादत यही दीन व ईमांके काम आये दुनिया में इन्सां के इन्सांमौलाना अल्ताफ हुसैन ‘हाली’ हरियाणा के ऐतिहासिक शहर पानीपत के रहने वाले थे। पानीपत शहर की ख्याति दो कारणों से रही है। एक तो यह तीन ऐसी लड़ाइयों का मैदान रहा है जिसने की हिन्दुस्तान की तकदीर बदली। दूसरे,...
नुक्कड़ पर प्रतिरोधी नाटक
By प्रोफेसर सुभाष सैनी जुलाई 16, 2011

नुक्कड़ पर प्रतिरोधी नाटक
डा.सुभाष चन्द्र, हिन्दी-विभाग
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
नुक्कड़ नाटक आज जीवन्त विधा के रूप में समाज में विस्तार पा रहा है। जन-सामान्य की समस्याओं व संघर्षों की अभिव्यक्ति के लिए छोटे-बड़े शहरों में अनेक नुक्कड़-नाटक मण्डलियां कार्य कर रही हैं। दिल्ली में ‘जन नाट्य मंच’, ‘निशान्त नाट्य मंच’, ‘दिशाःजन सांस्कृतिक मंच’, ‘एक्ट वन’, चण्डीगढ...